दिल
मेरे दिल की जगह कोई खिलौना रख दिया जाए ,
वो दिल से खेलते रहते हैं , दर्द होता है "
सोमवार, 31 अगस्त 2009
काछ , ऐसा होता !!
काछ , मैं एक पंछी होता
न कोई सरहद मेरे लिए
न कोई रास्ता होता
न मकानों का
न झगडा जमीनों का होता
काछ, मैं एक पंछी होता
हर अरमान मेरा
हर सपना सच होता
सूरज निकलते ही
नई मंजिल
हर दिन नया होता
यहाँ कही दिन डलता
वही सो जाता
काछ , मैं एक पंछी होता
पानी के झरने ,
फल , फूल ,
पोधे ये धरती ,
ये नीला अम्बर
हाँ सब मेरा ही होता
काछ , मैं एक पंछी होता
पर क्या ? ये इंसान
मुझे मर्जी से ज़ीने देते
जिन्होने बाँट रखा हैं
ज़मीं , आसमान ,
हवा , पानी
क्या मुझे आजाद
घुमने देते
कभी गलती से
सरहद लांग भी आता
तो क्या आने देते
इन नफरतों,
इन सरहदों में
मैं भी
किसी हादसे का शिकार होता
अगर , मैं इक पंछी होता
ऐ दुनिया बनाने वाले
काछ , कही भी कोई झगडा न होता
कोई सरहद , कोई बटवारा न होता
काछ , ऐसा होता
तो संसार कितना सुंदर होता
काछ , ऐसा होता
काछ , ऐसा ही होता !!
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