दिल

मेरे दिल की जगह कोई खिलौना रख दिया जाए ,
वो दिल से खेलते रहते हैं , दर्द होता है "

गुरुवार, 14 मई 2009

डर

गास फूस के मकानों को चिंगारी से भी डर होता हैं

इलाज करनें वालों को भी बीमारी से डर होता हैं

ईमान बेच बेच कर ना दोलतें कमाओ , रहिसजादो

लुट ले जाने का जिसका चारदिवारी में भी डर होता हैं

महफूज तो हैं नही जे ख्याल भी अपने

जहन की गलिओं में भी किसी पहरेदारी से डर होता हैं

परत दर परत तह को हटाना, मजार से

खून चलने का ऐसी लाचारी में भी डर होता हैं

!!!!!!!!!! साहिल !!!!!!!!


बुधवार, 13 मई 2009

इक कतरा !!

"किसी नें तो तोडा हैं, मेरे घर आक़र आइनें को
कुश कतरे खून के हमनें किसी टुकड़े पर देखें हैं !"

"हक़ तो हमें भी था, मह्खानो में जाकर पिने का
मगर डर था के पीकर सब के सामने , लबों पर तेरा नाम न आ जाए !"

+++++++साहिल+++++++

मंगलवार, 12 मई 2009

बेबसी

"तेरे नक्शे कदम को देखते हुए बुलहबस हो गए
ये मुन्तजीर तो ता उम्र मुफलिस ही रहा !"
( बुलहवस = बहुत ज्यादा अल्ची लालची )
( मुफलिस = गरीब )

"शमशीरों पे चला हैं नंगें पांव 'साहिल'
फ़िर इन काँटों से कया उसको डर होगा !"
( शमशीरों = तलबारें )

"संगेमजार पर आ बेठा , वो संगदिल
देखते हैं, के पहले दर्द किस और से उठता हें!"
(संगेमजार = पथर की कबर)

इत्फाकन हवा नें बंद दरवाजों को हिलाया
हमें लगा के , इन्तहा वो लोट आये !"

:::::::::: साहिल ::::::::::

सोमवार, 11 मई 2009

छुपे दर्द !!

"ज़माने को क्या ख़बर, हैं कितने निशानों के नक्शे दिल में
यह तो खुदा, या फ़िर वो नक्श्कार जानता हैं !"

"उन्ही नें किया कतल, खंजर बनकर 'ऐ गुलशन'
जिन्हें सब फूल कहते थे !"

"पैदा हुए थी खता , अब जीना हैं सजा 'साहिल'
कोई मोत् को बताये , के मेरा पता क्या हैं !"

"लिखनें लगे हो कहानी, तो नाम मेरा ना लिखना
खामखाह उन्हें, फ़िर किताब से नफरत होगी !"

!!!!!!! साहिल !!!!!!

रविवार, 10 मई 2009

एहसास

"गुरबत में हुई मोहब्बत यही कसूर था तेरा 'साहिल'
अगली बार आना तो बाप किसी रहिस को केहना !"

"बेशक तुं कतल कर , मेरे आरमानो का तुझे हक हें ,
लेकिन........ मेरी बरबादी को जग जाहिर न कर !"


(....... साहिल .......)

शनिवार, 9 मई 2009

प्यास

"जर्रे जर्रे में हैं इक जिन्दगी,ऐ मुझे मिटाने वाले
दफ़नाने भर से कहाँ खबाहिशें मिटती हैं !"


"इस परत के निचे भी कोई साँस लेता हैं 'गुजरने वाले '
जरा कदम संबल के रखना !"


"वो इक पल के लिए भी हमें अपना कहते
तो मर कर इस कदर हम आज भटकते ना !"


" लाखों हादसे होतें हैं सड़क पे, 'जा खुदा'
किसी न किसी हादसे के निचे 'साहिल' का सर भी आ जाए !"


जहुनम में भी लगती हैं महफिलें मह्कशो की , 'साहिल'
अफ़सोस सिर्फ़ इतना के वो सिर्फ़ आसूं पितें हैं !"


.......(साहिल)........

उम्मीद

"कोई ख़त आए तो जबाब लिखूं मैं , उनको
कलम खून में अपने , कब से डुबोए बैठा हूँ