रिश्ता ना मिटाओ मिटा दो
मुझको
बहे आँखों से क्यों तब अक्श-ए -लहू ?
कह जाए वो जब भुला दो
मुझको ?
आते-जाते रहो दर्द बढ़ाने के लिए
कौन कहता हैं के दबा दो मुझको
हूँ मुसाफिर इक रोज तो चला जाऊंगा
दो इक रोज लिए ही पनाह दो मुझको
ऐ समंदर तू अब के 'साहिल' से भी मिल
तब तुम्हे मानुगा जो डूबा दो मुझको
© शिव कुमार साहिल ©