दिल

मेरे दिल की जगह कोई खिलौना रख दिया जाए ,
वो दिल से खेलते रहते हैं , दर्द होता है "

बुधवार, 24 जून 2009

ग़म !!

अब जमाना हमको क्या ठुकराएगा
हम ज़माने को ठुकरातें हैं
अब महखाना हमको क्या पिलाएगा
हम मेह्खानो को पिलातें हैं
कभी देखना मजार की दीवारों को खुदवाकर
मरा तो "साहिल" हैं मगर ग़म तो बैसे ही जीते जाते हैं !

???? साहिल ????