दिल

मेरे दिल की जगह कोई खिलौना रख दिया जाए ,
वो दिल से खेलते रहते हैं , दर्द होता है "

मंगलवार, 17 जनवरी 2012

ग़ज़ल - ( वो कहानी मेरी सुनाता हैं )


वो कहानी मेरी सुनाता हैं

इस तरह गम को वो सुलाता हैं


ढूंढता है मुझे अकेले में
जब मिले तो नज़र चुराता हैं


गया है उसे हुनर ये भी
मुस्कुराहट में ग़म छुपाता हैं


भूल जाता हूँ खुद को मैं साकी
तू ये पानी में क्या मिलाता हैं


जब कभी दिल जला तो आँखों से
गर्म पानी छलक ही जाता हैं


कोई भी घर में अब नही रहता
बंद दर सब को यही बताता हैं


चाँद बैठा हुआ है पहरे पर
कौन तारे यहॉं चुराता है ?


( उपरोक्त ग़ज़ल को आदरणीय तिलक राज कपूर जी का आशीर्वाद प्राप्त है , 4 जुलाई 2010 को उनके ब्लॉग( http://kadamdarkadam.blogspot.com/ ) पर पोस्ट हो चुकी हैं , आज अचानक इस ग़ज़ल से रु बू रु हुआऔर पोस्ट करने का मन हुआ )

© शिव कुमार साहिल @



मंगलवार, 10 जनवरी 2012

इक सुलगती याद



इस दफा ...

पिघल ही जायेंगी

जमी सदियों पुरानी बर्फीली बादियाँ

इक सुलगती याद जो गुजरी हैं

हवाओं के होठों पर बड़बड़ाते हुए !



नजर से दूर ,

कहीं , बहुत दूर

गुज़रे वक्त को गले से लगा

कोई जिरह कर रहा हैं , शायद

मौजूदा वक्त से …….



ये यादों के कारवां

ये तन्हाइयों के साये

बेरोक डराते हैं मुझे

जो सामने हैं , पर दिखाई भी नही देते

बहुत कुछ कहते हैं मुझसे

पर सुनाई भी नही देते

और कुछ सुनते भी नही हैं


पर लगता हैं के यहीं हैं

मेरे आस-पास ही कहीं हैं

तुम होते तो इन सब का कोई वजूद ना होता

इन सब से मुझे कोई खौफ ना होता !!

देखना..

इस दफा ...

पिघल ही जायेंगी

जमी सदियों पुरानी बर्फीली बादियाँ

इक सुलगती याद जो गुजरी हैं

हवाओं के होठों पर बड़बड़ाते हुए !!




© शिव कुमार 'साहिल' ©