दिल

मेरे दिल की जगह कोई खिलौना रख दिया जाए ,
वो दिल से खेलते रहते हैं , दर्द होता है "

मंगलवार, 28 जुलाई 2015

माँ का प्यार

दोस्त , दौलत ना संसार चाहिए 
मुझको मेरी माँ का प्यार चाहिए 

चाहिए मेरी  माँ का दुलार मुझे 
मुझको ना परबरदिगार चाहिए 

मेरी माँ का मुझे आशीर्बाद मिले
मुझको ना फूलों के हार चाहिए 

 दिन रात मैं सेवा करूँगा माँ की 
मुझको बस यही उपहार चाहिए 



दोस्त , दौलत ना संसार चाहिए 
मुझको मेरी माँ का प्यार चाहिए 


चाहिए मेरी  माँ का दुलार मुझे 
मुझको ना परबरदिगार चाहिए 


मेरी माँ का मुझे आशीर्बाद मिले
मुझको ना फूलों के हार चाहिए 


दिन रात मैं सेवा करूँगा माँ की 
मुझको बस यही उपहार चाहिए 

शुक्रवार, 10 जुलाई 2015

GOD FOR SALE

भारत में चाहे जिस भी पार्टी की सरकार हो किसान पर राजनीति करना सबका जन्म सिद्ध अधिकार है , किसान मर जाते हैं अपनी जिंदगियों से तंग आकर तो सरकार और राजनैतिक पार्टियाँ सुलगती चिताओं पर असंवेदनशील राजनीति करती हैं । फसले बर्बाद हो जाए तो मुआवजे पर राजनीति । इस देश में गरीबों को गरीब बनाये रखने का जैसे एक जाल बुन रखा हो , गरीब के बारे में सरकार सोचती हो जैसे भिखारी हो , कुछ किसान या  गरीब आम आदमी किसी वजह से तंग आकर खुदखुशी कर भी लेते हैं लेकिन यह अर्थ नही की हर किसान सरकार पर निर्भर हैं । एक मेहनती किसान , गरीब आदमी मेहनत करके अपने परिवार का पालन पोषण कर लेता है , वह सरकार के मुआवजों पर निर्भर नही हैं । 



देखिये एक मेहनती किसान क्या कहता हैं सरकार से :-

" हमें  घर  चलाना  आता है , मशवरा पास ही रखो ,
   जख्म ये भर ही जाएँगे , दुआ दवा पास  ही  रखो । 
   फसल हमारी हुई बर्बाद, सरकार तुम ना घबराओ  ,
   हम मेहनत करके खातें हैं , मुआवजा पास ही रखो" ॥ 

और दुनिया की वर्तमान स्तिथि पर भगवान से इक आग्रह :- 

"इस दुनिया के बाजारों में , सबके अरमान बिकते हैं ,
 क्या अरमान , क्या ईमान यहाँ इन्सान बिकते हैं । 
जो दुनिया तूने बनाई थी मेरे रभ आकर तो देख ,
 वो अब शैतानों की बस्ती है यहाँ भगवान बिकते हैं ॥