दिल

मेरे दिल की जगह कोई खिलौना रख दिया जाए ,
वो दिल से खेलते रहते हैं , दर्द होता है "

गुरुवार, 11 मार्च 2010

गर्म, हिन्दू - मुस्लिम का, मुद्दा कर गया
कोई चुनाव जीतने का , दाबा कर गया

चोरो के बस में नहीं थी जो ,
वो चोरी इक , नेता कर गया

गाल पिचके से थे जब नौकरी थी मिली ,
गुस खा -खा कर खुद को, तगड़ा कर गया

जिसे बुडे माँ-बाप का सहारा होना था
बड़ा होते ही उन्हें , बे सहारा कर गया

भूख कि खातिर आज मै भी ,
जेब काटने का , होंसला कर गया

तंग सा था वो महंगाई के चलते ,
सुना हैं कल रात लगा , फंदा मर गया


© शिव कुमार साहिल ©