दिल

मेरे दिल की जगह कोई खिलौना रख दिया जाए ,
वो दिल से खेलते रहते हैं , दर्द होता है "

बुधवार, 28 सितंबर 2011

ग़ज़ल ( आज गम इतना बढ़ाना )







आज गम इतना बढ़ाना के जमाना याद रखे
शराब इतनी पिलाना के मयखाना याद रखे

बंद कर दो दरवाज़े हवा भी गुजर ना पाए
तन्हा इतना कर जाना के तयखाना याद रखे

खून पीकर ही प्यास बुझे तो हाज़िर हूं हजूर
खून इतना बहाना के पैमाना याद रखे

कब से दिल सुलग रहा मुझको भी आग लगा
और फिर इतना जलाना के परवाना याद रखे

मेरी दीवानगी को क्या तोहफा हैं मिला
कब्र को इतना सजाना हर दीवाना याद रखे

© शिव कुमार साहिल ©





आप जी से विनम्र निवेदन हैं के उपरोक्त ग़ज़ल को अपना आशीर्बाद दे , क्योंकि ग़ज़ल कि बारीकियों , तकनिकी पक्ष से तो मैं अभी नवाकिफ ही हूं , इसलिए आप फ़नकारो से आग्रह हे के उपरोक्त ग़ज़ल को ग़ज़ल बना दीजे और मेरा मार्गदर्शन कीजिए ! धन्यबाद !

शनिवार, 24 सितंबर 2011

तेरा ख्याल





वो देख केसे इक नज्म
चली आ रही हैं ,
कुछ आवारा से लफ्जों को हांकते हुए ,
मेरे जहन की तरफ


देख, केसे वो बिखरे-बिखरे से
जाहिल से अल्फाज़
कितनी तहज़ीब कितनी तरतीब से
छोटे - छोटे कदमो की
मध्यम - मध्यम आवाज के साथ
चुपचाप चरते विचरते
नज्म के इशारों पर
चले आ रहे हैं


वो देख कुछ शव्दों के बदन पर
तेरी खुशबू की गीली मिटटी
अब भी चिपकी हुई हैं
वो देख कुछ नन्हे से लफ्जों ने
अपनी पीठ पर तेरे खावों को
अब भी उठाये रखा हैं
और यरा इनकी निगाहों में
इक दफा झांक कर तो देख
तेरे चहरे को भूल ही नही पाई हैं
ये गमगीन सी आँखे


तेरी मोजुदगी में , तेरी रंगीनियों में
तेरी यादों , तेरी बातों के
झरने के नीचे नहा कर
कितनी निखर आई हैं ये नज्म
देख केसे ये अलफ़ाज़ जी उठे हैं
देख केसे इक नज्म को

जिंदगी वख्श के जा रहे हैं

तेरे ख्याल भर ही ...

कभी आओ मेरे भी घर
यरा सा छु ही जाओ मुझे !!





© शिव कुमार साहिल ©