दिल

मेरे दिल की जगह कोई खिलौना रख दिया जाए ,
वो दिल से खेलते रहते हैं , दर्द होता है "

सोमवार, 14 जून 2010

फिर भी चला हूँ उसी की जानिब !!


उसने कहा था कही मिलेंगे फिर से

यूँ पीछे मुड कर , उसने देखा भी नही

ऎसा हुआ था , पर ऎसा लगता ही नहीं !


फिर भी चला हूँ उसी की जानिब

उसको लगता है उस तरफ की हवा है बस !!


©शिव कुमार साहिल ©