आजकादिनभी बिनाकुछकामकिएगवादियाआपने , गरमेहनतकीहोती तोपसीनेकीकोईबूंदगिरीहीहोती कितनीज़िम्मेदारीकाकाम सपुर्दकियागया हैआपको औरआपहोकेलापरवाहहोतेजारहेहो , दिन- प्रतिदिन अपना धुंधला सा चश्माउतारकरफेंक दो याफिरइसपरलगीधूलपोंछकरदेखो , देखो , जमीनकेहोंठकेसेफटेंपड़ेंहै पानीकीकमीसे पानीतोजीवनहै और उसकी प्याससेमोततकहोजातीहै मगरआपकभीप्यासेरहेनहींहोगे बचपनसेदेखरहाहूँ आपएकहीनौकरीमेंलगेहो औरवोभीपानीडोनेकी फिर प्यास का तो सवाल ही नही जनकल्याणकेलिए पानीकाविभागहैआपकेपास औरआपहोकेबूंद - बूंदकोतरसातेहो शुरू - शुरूमेंतोबड़ेपावंदथे , बड़ेईमानदारथे , बड़ा जोश था अपनेकामकेप्रति औरअब .... इतनीलापरवाही , इतनाआलस्यपन कई- कईदिनोंतकगेर- हाज़िररहतेहो अपनीमर्ज़ीसेआतेहो , और फिर उभाईयाँलेतेहुए सुस्तातेरहतेहोदिनभर परअबबहुतहुआ आपकीशिकायतकरनीपड़ेगी आलाअधिकारीयोंसे !
जी, जरुरकीजिए मैंभीतंगआगयाहूँ अबइसविभागसे पहले- पहलतोसबठीकथा सबआसान था परअबयहअसंतुलनतोदेखिये मेरीविवशतातोदेखिये कई - कईदिनोंतक भटकतारहताहूँमैं दरबदर, येनदियाँ , तालाब ,येझरनेतक प्यासेबेठेहै , कहीं उधारमें भी , पानीमिलनही रहाहै मेरातोपसीनातकसोंखलेतीहै यहप्यासीहवायें पानीकीकमीसे इकनईकिस्मकीबीमारीहोगईहैमुझे हमारे यहाँ तो मुद्रा का चलन भी नहीं हैं वरनाकमसेकमअपनेलिएतो एक-आधपानीकीबोतलखरीदही लेता आपके बाजार से मुफ्तबांटताथामैंपानी औरआपलोगोनेकारोबारचलारखाहैं बूंद -बूंदतकबेचतेहोआपलोग