"जर्रे जर्रे में हैं इक जिन्दगी,ऐ मुझे मिटाने वाले
दफ़नाने भर से कहाँ खबाहिशें मिटती हैं !"
"इस परत के निचे भी कोई साँस लेता हैं 'गुजरने वाले '
जरा कदम संबल के रखना !"
"वो इक पल के लिए भी हमें अपना कहते
तो मर कर इस कदर हम आज भटकते ना !"
" लाखों हादसे होतें हैं सड़क पे, 'जा खुदा'
किसी न किसी हादसे के निचे 'साहिल' का सर भी आ जाए !"
जहुनम में भी लगती हैं महफिलें मह्कशो की , 'साहिल'
अफ़सोस सिर्फ़ इतना के वो सिर्फ़ आसूं पितें हैं !"
.......(साहिल)........
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