दिल

मेरे दिल की जगह कोई खिलौना रख दिया जाए ,
वो दिल से खेलते रहते हैं , दर्द होता है "

रविवार, 2 अगस्त 2009

(भगवान् हम सब के साथ हैं)




जो भी होगा ठीक ही होगा
वो हमारे लिए भी सोचता होगा

वो दिखाई नहीं देता अपनी नादानी हैं
झांक जरा तेरे अंदर ही होगा

कभी मस्जिद की तरफ चल कर तो देख
वो रस्ते में ही खडा होगा

कोई दिल से सची फरियाद तो कर
जबाब उसका भी दिल से ही होगा

मोहबत करनी हैं तो सची कर
उसके चाहने वालों में तेरा नाम भी होगा


जो भी होगा ठीक ही होगा
वो हमारे लिए भी सोचता होगा !

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