बहुत खूब
चुबेगा पांव में टूटे कांच की तरह वो जिस तरफ, जिधर जाएगा ..बहुत खूब ... कांटे की बजाय अगर वो फूल की तरह खिले मन में तो सफर ही बदल जाए ... पर काश ...टूटे मन की आवाज़ को बाखूबी पेश किया है शिव जी ...
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बहुत खूब
चुबेगा पांव में टूटे कांच की तरह
वो जिस तरफ, जिधर जाएगा ..
बहुत खूब ... कांटे की बजाय अगर वो फूल की तरह खिले मन में तो सफर ही बदल जाए ... पर काश ...
टूटे मन की आवाज़ को बाखूबी पेश किया है शिव जी ...
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