दिल

मेरे दिल की जगह कोई खिलौना रख दिया जाए ,
वो दिल से खेलते रहते हैं , दर्द होता है "

शनिवार, 23 फ़रवरी 2013

मेरा दिल


वो मुझे छोड़ के अगर जाएगा 

मेरा दिल टूट के बिखर जाएगा 


चुबेगा पांव में टूटे कांच की तरह 

वो जिस तरफ,  जिधर जाएगा  


वेसे लग चुकी हैं ठोकर दिल को 

फिर भी लगता नही, सुधर जाएगा


पूछता हैं समंदर से 'साहिल' ,

तू  मुझे छोड़ के किधर जाएगा ?





















© शिव कुमार साहिल ©

2 टिप्‍पणियां:

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

बहुत खूब

दिगम्बर नासवा ने कहा…

चुबेगा पांव में टूटे कांच की तरह
वो जिस तरफ, जिधर जाएगा ..

बहुत खूब ... कांटे की बजाय अगर वो फूल की तरह खिले मन में तो सफर ही बदल जाए ... पर काश ...
टूटे मन की आवाज़ को बाखूबी पेश किया है शिव जी ...