मेरे गमखाने में
बस इक तस्वीर है उसकी
जो बनाई है
मेरे लहू से उसने
फिर भी लगता है उसको
के वो इतनी
रंगीन नही है अभी
इसलिए तो
वो बनाती है रोज
नया इक जख्म दिल पर
और भरती है अपनी तस्वीर में
मेरे दिल का ताज़ा लहू
फिर भी लगता है उसको
के वो इतनी
रंगीन नही है अभी
मेरे गमखाने में
बस इक तस्वीर है उसकी
जो बनाई है
मेरे लहू से उसने
© शिव कुमार साहिल ©
बस इक तस्वीर है उसकी
जो बनाई है
मेरे लहू से उसने
फिर भी लगता है उसको
के वो इतनी
रंगीन नही है अभी
इसलिए तो
वो बनाती है रोज
नया इक जख्म दिल पर
और भरती है अपनी तस्वीर में
मेरे दिल का ताज़ा लहू
फिर भी लगता है उसको
के वो इतनी
रंगीन नही है अभी
मेरे गमखाने में
बस इक तस्वीर है उसकी
जो बनाई है
मेरे लहू से उसने
© शिव कुमार साहिल ©
3 टिप्पणियां:
वाह....
बेहद खूबसूरत साहिल जी....
दिल को छू गए ये लफ्ज़....
अनु
Good blog. It is good to see some one blogging from Una
Very Good Blog.
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