इक छोटी सी बात कहानी हो गई
छत अधूरी थी की रात तूफानी हो गई
दिल को छुने गयी थी निगाह लेकिन
रस्ते में ही कम्बखत जिस्मानी हो गयी
मै ही बचा ता अब तक ख़ुद से
ख़ुद से भी आज इक बेईमानी हो गई
झूठ , फरेब ,अधर्म का दौर हैं
धर्म , ईमान की बात बड़ी पुरानी हो गई
© शिव कुमार 'साहिल' ©
1 टिप्पणी:
शिव कुमार 'साहिल' जी,
भावों को शब्दों में खूब ढाला है आपने
और बेहतर, और निखार की दुआ,
कामना और अपेक्षा के साथ
शाहिद मिर्ज़ा शाहिद
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