क्यों डूबा है चाँद गहरी तन्हाई में
सूरज जल रहा है किसकी बेबफाई में
समंदर क्या छुपाए बैठा है गहराई में
वख्त छोड़ता ही नहीं कुछ, अपनी परछाई में
उम्र टूट कर गिर रही है किस खाई में
ये बता दे खुदा क्या राज है तेरी खुदाई में
उफ़.....
क्या दिखाई देता है दिल
तुम्हे अब भी उस हरजाई में
क्या कहे दिल तुमसे साहिल
बस मोहब्बत दिखी थी, उसकी रूह की गहराई में
क्यों डूबा है चाँद गहरी तन्हाई में
सूरज जल रहा है किसकी बेबफाई में ?
सूरज जल रहा है किसकी बेबफाई में
समंदर क्या छुपाए बैठा है गहराई में
वख्त छोड़ता ही नहीं कुछ, अपनी परछाई में
उम्र टूट कर गिर रही है किस खाई में
ये बता दे खुदा क्या राज है तेरी खुदाई में
उफ़.....
क्या दिखाई देता है दिल
तुम्हे अब भी उस हरजाई में
क्या कहे दिल तुमसे साहिल
बस मोहब्बत दिखी थी, उसकी रूह की गहराई में
क्यों डूबा है चाँद गहरी तन्हाई में
सूरज जल रहा है किसकी बेबफाई में ?
1 टिप्पणी:
बहुत ख़ूब ।..
वक़्त किसी को नहीं छोड़ता और न ही किसी को पकड़ता है ...
अच्छी रचना है ...
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