दिल
मेरे दिल की जगह कोई खिलौना रख दिया जाए ,
वो दिल से खेलते रहते हैं , दर्द होता है "
शुक्रवार, 16 नवंबर 2012
आईना
चेहरा उतर ना पाया आईने में
आईना इल्तजा करता रहा
कुछ देर निहार कर खुद को
चेहरा ना जाने कहाँ गया
आईना तन्हा है सदियों से
जिसका अपना चेहरा तक नही
ठीक अपने रिश्ते की तरह !!
© शिव कुमार साहिल ©
1 टिप्पणी:
तिलक राज कपूर
ने कहा…
बहुत खूबसूरत अभिव्यक्ति। बधाई।
आईने का दर्द आपने बखूबी बयॉं किया है।
16 नवंबर 2012 को 3:42 pm बजे
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1 टिप्पणी:
बहुत खूबसूरत अभिव्यक्ति। बधाई।
आईने का दर्द आपने बखूबी बयॉं किया है।
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