कितना पवित्र है यह शब्द
संक्षिप्त , लहजे में आसान ,
हर ध्वनि में विद्यमान
कितना विस्तृत है यह शब्द
जिसकी मधुर ध्वनी ने
हर साज़ , हर आवाज़ को
जिंदगी बख्शी है ,
और मुझे भी !
हर रिश्ते का आधार ,
जीवन की परिभाषा है माँ
मात्र एक शब्द नहीं !!
©शिव कुमार साहिल ©
13 टिप्पणियां:
बहुत ख़ूबसूरत भाव और अभिव्यक्ति के साथ आपने शानदार रचना लिखा है! माँ के बारे में जितना भी कहा जाए कम है! हर एक शब्द दिल को छू गयी! उम्दा रचना!
SACH HAI MAA SHABD APNE AAP MEIN HI POORA YUG HAI ... GAATHA HAI ... KHOOBSOORAT RACHNA ...
अच्छे भाव।
आस पास के और भी बहुत से विषय आप को पुकार रहे हैं। अपनी कवि दृष्टि को वहाँ भी फिराइए।
वर्तनी संशोधन:
हैं - है
ध्वनी - ध्वनि
ईक - इक (अच्छा हो कि 'एक' लिखें)
अच्छी अभिव्यक्ति है, बधाई।
गिरिजेश राव साहब ने बहुत सटीक वर्तनी संशोधन किया है। धन्यवाद के पात्र हैं वे भी।
भावनाएं शब्दों का रूप लेकर
जब अपना प्रभाव छोड़ने लगें,
तो लेखन सार्थक हो जाता है.
शिव कुमार जी...प्रस्तुत रचना में
आप बेहद कामयाब रहे हैं
बधाई स्वीकार कीजिये
बहुत खुबसूरत कविता हैं साहिल..इतनी काम उम्र में इतना सटीक कैसे लिखते हो? बहुत बढ़िया..........
माँ इश्वर का रूप होती है... माँ को समर्पित बहुत अच्छी रचना है ये आपकी...बधाई
नीरज
janab sahil sahb mairi gazlon par apne zajbaat ka izhar karne ka shukriya aap ki nazmen badi lazavab
ये महसूस करना ही अद्भुत है ।
बेहतरीन भावाभिव्यक्ति...सुन्दर लिख रहे हैं आप..शुभकामनायें.
jaise chehra hata ke chehre ka
sirf ehsaas rakh diya ho wahaan
-gulzar
sachm,uch ..ma na chehra hoti ..na maa matr shabd hota hai .. maa ek ehsaas hai ...ek jaanvida ehsaas
achhi nazm
Beshak.....
सार्थक भावाभिव्यक्ति.... साधुवाद..
बहुत ख़ूबसूरत भाव और अभिव्यक्ति के
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