दिल

मेरे दिल की जगह कोई खिलौना रख दिया जाए ,
वो दिल से खेलते रहते हैं , दर्द होता है "

रविवार, 23 अगस्त 2009

भारत

हँसते हैं सरहदों पर बगल के वो मुलख
पूछते हैं, तेरा क्या हाल हैं, भारत

वक्त से पहले ही तू बुडा हो गया
कितनी नालायक निकली तेरी ओलाद हैं , भारत

पानी को पानी , खून को खून को न कह संकू
इतना मिलावटी तो नही था पहले तू , भारत

हिंदू , मुस्लिम की बात तो बड़ी पूरानी हो गई
अब तो भाई काट रहा हैं गला भाई का , भारत

बेशक परायों ने तुझे लुटा हैं सर से पांव तक
पर तेरे अपने भी कहाँ छोड़ रहे हैं कोई कसर , भारत

यह ठीक हैं की पहले सी गुलामी तो नही
पर क्या तुम असल में आजाद हो गए हो , भारत

न्याय के नाम पर मिल रही हैं तारीख फ़क्त तारीख
खूब पनप रहा हैं ये नया धंधा भी , भारत

घर के दरवाजों को , रिवाजों को जरुरत हैं बदलने की
नही तो कही का ना छोडेगा तुझे ये घुन , ऐ भारत

कल संग्राम था दमंकारिओं से आज व्यवस्था से हैं
कोई ना कोई नतीजा तो अब निकलेगा ही , भारत

किसी पार्क में कह रहा हैं इक शहीद का स्मारक
इसलिए तो नही मैं तुझ पर कुर्बान हुआ था भारत

1 टिप्पणी:

Unknown ने कहा…

VEEre mast hai gazal....