दिल

मेरे दिल की जगह कोई खिलौना रख दिया जाए ,
वो दिल से खेलते रहते हैं , दर्द होता है "

शनिवार, 22 दिसंबर 2018

मन ( MY Inner Man)

मेरी कल्पनाओँ  से भी 
आगे जाकर 
घर है तेरा 
मैं तुझ तक कैसे पहंचु 
बता मेरे मन 

सदियाँ , मिलो चलने का सफर 
सदियाँ , तनहा गुज़रती रातें 
कहाँ लगता है मुमकिन 
कभी अपना हो मिलन 

दुनिया के बाज़ारों में 
तन के व्यापारों में 
कहाँ लगता है जिन्दा 
होगा अब कोई गम 

बेबफाई भरे किस्से है 
बफा  की कस्मे है 
मेरे हिस्से में तेरे हिस्से में 
ना ज्यादा ना  कम 

तन के प्यासों में 
रिश्तों के लिबासों में 
देखो यरा कितनी 
लिपटी है उलझन 

मेरी कल्पनाओँ  से भी 
आगे जाकर घर है तेरा 
मैं तुझ तक कैसे पहंचु 
बता मेरे मन ?

बुधवार, 12 दिसंबर 2018

ईश्क़ की गहराई

जब ईश्क़ की गहराई में उतरा 
देखा .... 

वहां सिर्फ रूह थी तुम्हारी 
जिसका कोई जिस्म ना था 
मै अपनी वासनाओँ के साथ 
सदियों कैद रहा 
तेरी रूह की गहराई में  
एक दिन अचानक 
आजाद हुआ 
लौटकर पाया मैने 
मेरी वासनाएँ रह गई 
कहीं वहीं तेरी रूह की क़ैद में 
अब जिस्म में मेरे भी 
रूह है फ़क्त 
वासनाओं से मुक्त 

कितनी बेहतर है यह तृप्त दुनिया  

सोमवार, 26 नवंबर 2018

रूह की गहराई

क्यों डूबा है चाँद गहरी तन्हाई में 
सूरज जल रहा है किसकी बेबफाई में 
समंदर क्या छुपाए बैठा है गहराई में 
वख्त छोड़ता ही नहीं कुछ, अपनी परछाई में 
उम्र टूट कर गिर रही है किस खाई में 


ये बता दे खुदा क्या राज है तेरी खुदाई में 

उफ़..... 
क्या दिखाई देता है दिल 
तुम्हे अब भी उस हरजाई में 
क्या कहे दिल तुमसे साहिल 
बस मोहब्बत दिखी थी, उसकी रूह की गहराई में 

क्यों डूबा है चाँद गहरी तन्हाई में 
सूरज जल रहा है किसकी बेबफाई में  ?


गुरुवार, 1 अक्तूबर 2015

तलाश

मौत का डर है जिसको 
और जानिब मौत  के 
दौड़ लगाई है जिसने 
कभी देखी है वो जिंदगी ? 


रोज आईने में बूढ़ा हो रहा है जो ,
पर महसूस भी नही है जिसको 
कभी देखा है वो शख्स ?

कभी- कभी , क्यों 
मिलकर गुजरे लम्हों से 
घबरा कर  , सहम कर 
उठता है वो सपनों से ,

कभी पूछा है उससे ?

कभी मिल जाए जब जबाब 
मुझे भी बता देना 
कभी दिख जाए जब जिंदगी 
उसका स्कैच बना देना 

मुझसे सवाल किया है किसी ने ,
मैं  , जबाब की तलाश में हूँ । 







बुधवार, 5 अगस्त 2015

मोनालिसा की तस्वीर

मैने हाथ को कंघी बनाकर 
कभी गेसू सँवारे थे तुम्हारे 
क्या याद है तुम्हे 

याद है वो जेठ की दोपहर 
जब मैं मीलों पैदल चलकर 
इक झलक देखने को आता था तुम्हे 
और वो सर्द बर्फीली रातों का तन्हापन 

उन कागज़ों से भी रंगे लहू 
उड़ गया होगा 
जिन पर दिल के अरमान उतारे थे 
नफ़्ज़े लहू से मैने 
शायद कुछ याद भी हो तुम्हे , पर 

सुना है अब तुम 
पहले सी रही नही हो 
मैं भी तो बदल गया हूँ बिल्कुल 

वादे फिसल गए जुबां से गिर गए कहीं 
कसमें बिछड़ गई बेरहम भीड़ में ,

खेर ,
क्या करती हो अब तुम 
मैं तो माजी की तहरीरें लिखता हूँ अब 
कभी हंसती सी , कभी उदास सी लगती हैं तहरीरें 
मोनालिसा की तस्वीर की तरह ।





मंगलवार, 28 जुलाई 2015

माँ का प्यार

दोस्त , दौलत ना संसार चाहिए 
मुझको मेरी माँ का प्यार चाहिए 

चाहिए मेरी  माँ का दुलार मुझे 
मुझको ना परबरदिगार चाहिए 

मेरी माँ का मुझे आशीर्बाद मिले
मुझको ना फूलों के हार चाहिए 

 दिन रात मैं सेवा करूँगा माँ की 
मुझको बस यही उपहार चाहिए 



दोस्त , दौलत ना संसार चाहिए 
मुझको मेरी माँ का प्यार चाहिए 


चाहिए मेरी  माँ का दुलार मुझे 
मुझको ना परबरदिगार चाहिए 


मेरी माँ का मुझे आशीर्बाद मिले
मुझको ना फूलों के हार चाहिए 


दिन रात मैं सेवा करूँगा माँ की 
मुझको बस यही उपहार चाहिए 

शुक्रवार, 10 जुलाई 2015

GOD FOR SALE

भारत में चाहे जिस भी पार्टी की सरकार हो किसान पर राजनीति करना सबका जन्म सिद्ध अधिकार है , किसान मर जाते हैं अपनी जिंदगियों से तंग आकर तो सरकार और राजनैतिक पार्टियाँ सुलगती चिताओं पर असंवेदनशील राजनीति करती हैं । फसले बर्बाद हो जाए तो मुआवजे पर राजनीति । इस देश में गरीबों को गरीब बनाये रखने का जैसे एक जाल बुन रखा हो , गरीब के बारे में सरकार सोचती हो जैसे भिखारी हो , कुछ किसान या  गरीब आम आदमी किसी वजह से तंग आकर खुदखुशी कर भी लेते हैं लेकिन यह अर्थ नही की हर किसान सरकार पर निर्भर हैं । एक मेहनती किसान , गरीब आदमी मेहनत करके अपने परिवार का पालन पोषण कर लेता है , वह सरकार के मुआवजों पर निर्भर नही हैं । 



देखिये एक मेहनती किसान क्या कहता हैं सरकार से :-

" हमें  घर  चलाना  आता है , मशवरा पास ही रखो ,
   जख्म ये भर ही जाएँगे , दुआ दवा पास  ही  रखो । 
   फसल हमारी हुई बर्बाद, सरकार तुम ना घबराओ  ,
   हम मेहनत करके खातें हैं , मुआवजा पास ही रखो" ॥ 

और दुनिया की वर्तमान स्तिथि पर भगवान से इक आग्रह :- 

"इस दुनिया के बाजारों में , सबके अरमान बिकते हैं ,
 क्या अरमान , क्या ईमान यहाँ इन्सान बिकते हैं । 
जो दुनिया तूने बनाई थी मेरे रभ आकर तो देख ,
 वो अब शैतानों की बस्ती है यहाँ भगवान बिकते हैं ॥ 


गुरुवार, 25 जून 2015

पंजाबी गीत ( Dedicated To Babu Mann)

ਹੇ ਬਾਜ਼ ਯਹੀ ਆਖ 
ਨਾ ਕਿਸੇ ਤੋ ਭੀ ਕਾਟ 
ਕਰਾਂ ਸੋਲਾਹ ਦੁਨੀ ਆਠ 

ਮੇਂ ਹਾਂ ਬਿਗਡੇਯਾ ਜਾਟ 


ਇਕ ਬੇਬ੍ਫਾ ਚੇਹਰਾ ਜੋ 
ਮੇਰੇ ਦਿਲ ਵਿਚ ਹੈ ਬਸਦਾ 
ਦਿਲ ਲਾਵੇ ਲਾਢ ਓਨੁ 
ਓ ਫੇਰ ਭੀ ਹੈ ਦਸਦਾ 
ਦਿਲ ਕਰੇ ਹੈ ਗਲਤਿਯਾੰ 
ਆਪੇ ਖਾਉ ਕਦੇ ਸਾਟ  
ਹੇ ਬਾਜ਼ ਯਹੀ ਆਖ 
ਨਾ ਕਿਸੇ ਤੋ ਭੀ ਕਾਟ 
ਕਰਾਂ ਸੋਲਾਹ ਦੁਨੀ ਆਠ 
ਮੇਂ ਹਾਂ ਬਿਗਡੇਯਾ ਜਾਟ 

ਇਕ ਦਿੱਲੀ ਦਾ ਕਨੁਨ 
ਚੂਸੀ ਜਾਵੇ ਨਿਤ ਖੂਨ 
ਡਰਦੀ ਫਿਰੇ ਹੈ ਖੇਤੁਨ 
ਸਰਕਾਰਾਂ ਛੂ  ਲੇਯਾ ਮੂਨ 
ਬਚਾ ਬਚਾ ਜਾਣੇ 
ਸਾਲ ਠਾਠਵੇਂ ਦਾ ਫਾਟ 
ਹੇ ਬਾਜ਼ ਯਹੀ ਆਖ 
ਨਾ ਕਿਸੇ ਤੋ ਭੀ ਕਾਟ 
ਕਰਾਂ ਸੋਲਾਹ ਦੁਨੀ ਆਠ 
ਮੇਂ ਹਾਂ ਬਿਗਡੇਯਾ ਜਾਟ 

ਅਜੀਜ ਜੋ ਮੇਰਾ ਸੀ 
ਰਕੀਬ ਬਣ ਗੇਯਾ ਹੈ 
ਨਾਚੀਜ ਜੇਹਾ ਬੰਦਾ ਹੁਣ 
ਕਟਿਬ ਬਣ ਗੇਯਾ ਹੈ 
ਸਰਕਾਰ ਮੰਦੇ ਯਾਰ ਚਾਲ 
ਹਾਟ ਪਿਸ਼ੇ ਹਾਟ 
ਹੇ ਬਾਜ਼ ਯਹੀ ਆਖ 
ਨਾ ਕਿਸੇ ਤੋ ਭੀ ਕਾਟ 
ਕਰਾਂ ਸੋਲਾਹ ਦੁਨੀ ਆਠ 
ਮੇਂ ਹਾਂ ਬਿਗਡੇਯਾ ਜਾਟ 


बुधवार, 3 जून 2015

तन्हाई

कैसे तन्हाई में आराम मिले 
यादें उसकी बनके मेहमान मिले 

साक़िया मय में जहर भी मिला 
मेरे गम  को थोड़ी जान मिले 

बेबफाई तेरा हुनर है , बेबफा 
इसका तुमको कोई ईनाम मिले 

मैं हिन्दू हूँ , तुम मुस्लिम हो 
रहीम मुझको तुमको राम मिले 

शुक्रवार, 22 मई 2015

छलावा

हुस्न है , अदा है , खूबसूरती का दावा भी बहुत है 

आईना देखता है उनमे इक छलावा भी बहुत है 

बरसो करते रहे दुआएं हम मिलने की उनसे

 
आज मिले वो ऐसे मिलने का पछतावा भी बहुत है 


कहूँ तो क्या कहूँ तुझसे ऐ मेरे दिले ज़हीन अब 


तेरा तो अपनों को परखने का दावा भी बहुत है 



हुस्न है , अदा है , खूबसूरती का दावा भी बहुत है


आईना देखता है उनमे इक छलावा भी बहुत है