दिल

मेरे दिल की जगह कोई खिलौना रख दिया जाए ,
वो दिल से खेलते रहते हैं , दर्द होता है "

शनिवार, 22 दिसंबर 2018

मन ( MY Inner Man)

मेरी कल्पनाओँ  से भी 
आगे जाकर 
घर है तेरा 
मैं तुझ तक कैसे पहंचु 
बता मेरे मन 

सदियाँ , मिलो चलने का सफर 
सदियाँ , तनहा गुज़रती रातें 
कहाँ लगता है मुमकिन 
कभी अपना हो मिलन 

दुनिया के बाज़ारों में 
तन के व्यापारों में 
कहाँ लगता है जिन्दा 
होगा अब कोई गम 

बेबफाई भरे किस्से है 
बफा  की कस्मे है 
मेरे हिस्से में तेरे हिस्से में 
ना ज्यादा ना  कम 

तन के प्यासों में 
रिश्तों के लिबासों में 
देखो यरा कितनी 
लिपटी है उलझन 

मेरी कल्पनाओँ  से भी 
आगे जाकर घर है तेरा 
मैं तुझ तक कैसे पहंचु 
बता मेरे मन ?