दिल

मेरे दिल की जगह कोई खिलौना रख दिया जाए ,
वो दिल से खेलते रहते हैं , दर्द होता है "

बुधवार, 12 दिसंबर 2018

ईश्क़ की गहराई

जब ईश्क़ की गहराई में उतरा 
देखा .... 

वहां सिर्फ रूह थी तुम्हारी 
जिसका कोई जिस्म ना था 
मै अपनी वासनाओँ के साथ 
सदियों कैद रहा 
तेरी रूह की गहराई में  
एक दिन अचानक 
आजाद हुआ 
लौटकर पाया मैने 
मेरी वासनाएँ रह गई 
कहीं वहीं तेरी रूह की क़ैद में 
अब जिस्म में मेरे भी 
रूह है फ़क्त 
वासनाओं से मुक्त 

कितनी बेहतर है यह तृप्त दुनिया  

3 टिप्‍पणियां:

दिगम्बर नासवा ने कहा…

रूह से रूह का मिलन ही तो प्रेम है ...
जहाँ जिस्म का वजूद ख़त्म हो जाता है ...

Gaurav puri ने कहा…

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Drift Financial Services ने कहा…


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