दिल

मेरे दिल की जगह कोई खिलौना रख दिया जाए ,
वो दिल से खेलते रहते हैं , दर्द होता है "

गुरुवार, 20 अगस्त 2009

कोई बताये मुझको

कोई बताये मुझको के वो किसके आंसू थे
कत्ल हुई बेटी के या फिर इक माँ के आंसू थे

रो रही थी कोई औरत क्लीनिक की सीड़ियों पर
खुदा ही जाने वो किस पशचताप के आंसू थे

खुद के हाथों से गला घोंट कर, हाँ शायद
किसी मजबूर माँ से हुए अपराध के आंसू थे

ना जाने कौन सा डर तुड़वा रहा हैं अनदेखी कलीओं को
शायद उस अजनमी कली की आखिरी साँस के आंसू थे

क्या पता किसका चेहरा था उन् आंसुयों के पीछे "साहिल",
इक बात पकी हैं मगर वो किसी जस्वात के आंसू थे !

कोई टिप्पणी नहीं: