दिल

मेरे दिल की जगह कोई खिलौना रख दिया जाए ,
वो दिल से खेलते रहते हैं , दर्द होता है "

रविवार, 30 अगस्त 2009

कुछ तो तरस

कुछ तो तरस किया कीजिए
बेबजह शिकवा ना किया कीजिए

कब तलक हम यूँ ही गिरते रहें
कभी तो सहारा दिया कीजिए

शोंक नही हैं हमे , यूँ तडफने का
कभी तो परवाह किया कीजिए

जमाना क्या कहेगा मेरे बारे में
कभी तो लिहाज किया कीजिए

कभी तो मान लो अपने दिल की बात
इतना भी जुल्म ना ख़ुद पर किया कीजिए

बेचैन तुम भी हो मेरी तरह
कभी तो मान लिया कीजिए

इक हद होती हैं हर बात की , बाखुदा
इतने बहाने ना किया कीजिए

इश्क करते हो , फ़िर परदा क्यों
कभी तो इजहार किया कीजिए

इतना चुप रहना भी ठीक नही
कभी तो कुछ कहा कीजिये

आईने से पूछते हो, अपने बारे में
अजी , ख़ुद पे तो एतबार किया कीजिए

© शिव कुमार "साहिल" ©

2 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

really touching my heart...
4m ghazal

बेनामी ने कहा…

very true yar,,,,,
how u write all ths???