दिल

मेरे दिल की जगह कोई खिलौना रख दिया जाए ,
वो दिल से खेलते रहते हैं , दर्द होता है "

शनिवार, 9 मई 2009

उम्मीद

"कोई ख़त आए तो जबाब लिखूं मैं , उनको
कलम खून में अपने , कब से डुबोए बैठा हूँ 





1 टिप्पणी:

बेनामी ने कहा…

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