"ज़माने को क्या ख़बर, हैं कितने निशानों के नक्शे दिल में
यह तो खुदा, या फ़िर वो नक्श्कार जानता हैं !"
"उन्ही नें किया कतल, खंजर बनकर 'ऐ गुलशन'
जिन्हें सब फूल कहते थे !"
"पैदा हुए थी खता , अब जीना हैं सजा 'साहिल'
कोई मोत् को बताये , के मेरा पता क्या हैं !"
"लिखनें लगे हो कहानी, तो नाम मेरा ना लिखना
खामखाह उन्हें, फ़िर किताब से नफरत होगी !"
!!!!!!! साहिल !!!!!!
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