दिल

मेरे दिल की जगह कोई खिलौना रख दिया जाए ,
वो दिल से खेलते रहते हैं , दर्द होता है "

रविवार, 27 सितंबर 2009


अभी हाल ही में मेरी पहली पुस्तक "फासलें और भी हैं" जोकि एक ग़ज़ल संग्रह हैं भी छपी हैं ! यह किताब सम्पूर्ण रूप से उस प्यार को समर्पित हैं जो अधुरा रह गया हैं ! एहसास जब अश्यारोँ में बयां होते हैं तो उन एहसासों की एक अलग दुनिया , एक अलग चेहरा , एक अलग सन्देश सामने आता हैं ! इस किताब में आपको कुछ ऐसे ही सन्देश गज़लों की शक्ल में मिलेंगे ! ग़ज़ल इक सुन्दर एहसास हैं इसमें शिकायत , प्रेम , निराशा , खुशी , दर्द , यादें और जिन्दगी का हर रंग मिल जाता हैं ! इस किताब में मेनें इन्ही रंगों के उपर लिखने की कोशिश की हैं ! यह मेरी पहली किताब हैं और लाजमी हैं की इसमें कमिया भी होंगी इसलिए आप मेरी किताब को जरूर पढें और अपनें अमूल्य विचार मुझे बेजे ताकि मैं अपनी कमिओं के बारे में जान सकूँ और सुधार भी कर सकूँ !

( तेरे दर से ऐ मालिक )

तेरे दर से मालिक कही और चलते हैं
तुझे देखा खुदा कह कर अब खुदा बदलते हैं


वो कहता खो गयी चाबी लगा महखाने पे ताला
ताले तो टूट जाते हैं चलो होंसला तो करते हैं


हैं जीना तो बड़ा मुश्किल हैं आदम कांच का टुकडा
बहुत हैं टूट कर बिखरे जरा संभल के चलते हैं


अभी तो होश आया हैं जाने को मैकदे से कहना
पहले खुद को तो मैं समझू ओरो को फिर समझते हैं


अब इतनी सोच केसी हैं, अब हैं केसी ये उलझन
बेशक यादों से निकलूं मगर अब याद बदलते हैं


जमाना कब का हैं बदला मगर " साहिल " तो वेसा हैं
ठहरे ना ठहरा पानी भी, हम भी अब आदत बदलते हैं !



4 टिप्‍पणियां:

Unknown ने कहा…

she is unlucky who unable to have ur love ur a gem of a person nd a beautiful writer too may god fulfill all ur dreams i love u n i always wid u.

Unknown ने कहा…

hi bhai kiasa hai,,,,,

tere dukh me mai hmesha tere sath sharik hun chahe tu sukh me hme shrik kar chahe na kar ......
je tera bhai hmesha tere sath hai.......
apki kitab dil ko chu rhi rhi....
apki kabitayen pad kr dil ke dard bahar a jata hai....
may god bless u ap tarraki krein or taki ham fakr se keh ske ki dekho je hai shiv kumar sahil jiska mai dost hu

kamal saini ने कहा…

aapki book bahut achi lagi ab me apki ghazlon ki music album ke liye bahut utsuk hun. bhagwan kare meri yah isha bhi zalad puri ho zaye....

बेनामी ने कहा…

बहुत खुब् साहिल जी क्या लिखते है ! दिल खुस हो गया मूघे आपकी ये संग्रह चाहिये कैसे मिलेगी

Regards !
Vivek Anjan