दिल

मेरे दिल की जगह कोई खिलौना रख दिया जाए ,
वो दिल से खेलते रहते हैं , दर्द होता है "

गुरुवार, 30 जुलाई 2009

जीने न दिया !!!

कभी भी जीने न दिया इन खाबों खयालों ने
कभी आराम न मिला इन दवाखानों में
किसी की तलाश में मंजिल न मिली लेकिन
इक बिस्तर मिला हमें इन पागलखानों में

कहतें हैं के पिने गया था मगर
दर्द कम करनें गया था मह्कश उन मह्खानो में


उन्होनें फेंक कर कहा तस्वीर घर से बाहर
कंही का ना छोड़ा इन दोस्तानो नें

शहर दर शहर भटकना ही पड़ा क्यों की
हम ही रह न पाए इन नए ज़मानों मे

कोई तो निकला था खोजने तुमको भी ' साहिल '
कोन लोटा हैं मगर उन तहखानों से !


००००० साहिल ०००००

1 टिप्पणी:

ओम आर्य ने कहा…

bahut hi sundar rachana hai sundar abhiwyakti