दिल

मेरे दिल की जगह कोई खिलौना रख दिया जाए ,
वो दिल से खेलते रहते हैं , दर्द होता है "

गुरुवार, 30 जुलाई 2009

नशे का शोंक नहीं

नशे का शोंक नहीं जो इतनी हम पीते हैं ,
इस मय के सहारे से बस , जी लेते हैं

दिल की बातो को छुपाना अपनी फितरत नही
वो राजदार और होंगें जो लबों को सीते हैं

वेसे मर चुके हैं सब शहर में अपनी अपनी नजरों में
तो ग़लत क्या हैं गर हम भी मुर्दों में जीते हैं

उन्हें तो शायद इल्म भी नही के सालों गुजर गए
यहाँ तो लम्हें भी गिन गिन के बीते हैं

कहानी बताता हैं कोई अपनी उस चोराहे पर यहाँ
घर तबाह कर के हमारा उन्होंने यहाँ घर ख़रीदे हैं

जरा देखो मेरे रकीबो के चेहरों की खुशी
ठोकर लगकर गिरा हूँ वो कहते हैं के हम जीते हैं

कोई न बचानें बाला "साहिल" को बुरी आदतों से,
इसलिए रिन्दों में बैठकर भी पी लेते हैं

नशे का शोंक नहीं जो इतनी हम पीते हैं ,
इस मय के सहारे से बस , जी लेते हैं !

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