दिल

मेरे दिल की जगह कोई खिलौना रख दिया जाए ,
वो दिल से खेलते रहते हैं , दर्द होता है "

शुक्रवार, 17 जुलाई 2009

हाल -ऐ -दिल हमसे कहा न गया
बेजुबानो की तरह भी रहा न गया
इक धरिया जो बहता था जहन में मेरे
परदे में उससे भी रहा न गया
खामोशी तड़फ के बोली दिल से
ऐ साहिल मेरा बजूद भी तुमसे सहा ना गया
इक उमीद थी आंखों को तेरे आने की जालिम
रहगुजर से भी तेरी तरह ठहरा ना गया

3 टिप्‍पणियां:

hindustan ने कहा…

लिखते रहो मित्र . ईश्वर तुम्हारी चाह पर गौर फरमाए .

नदीम अख़्तर ने कहा…

क्षमा के साथ कहना है कि कुछ टाइपिंग में ग़लती दिखाई दे रही है। कृपया शुद्धिकरण पर ध्यान दें। लगता है आप ट्रांसइलिट्रेशन के सहारे लिख रहे हैं। आपको हिन्दी इंस्टॉल कर लेना चाहिए और इनस्क्रिप्ट में लिखने की आदत डालनी चाहिए, तब ग़लतियों की गुंजाइश कम हो जायेगी।

संगीता पुरी ने कहा…

बहुत सुंदर…..आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्‍लाग जगत में स्‍वागत है…..आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्‍दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्‍दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्‍त करेंगे …..हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।