दिल

मेरे दिल की जगह कोई खिलौना रख दिया जाए ,
वो दिल से खेलते रहते हैं , दर्द होता है "

शुक्रवार, 22 मई 2015

छलावा

हुस्न है , अदा है , खूबसूरती का दावा भी बहुत है 

आईना देखता है उनमे इक छलावा भी बहुत है 

बरसो करते रहे दुआएं हम मिलने की उनसे

 
आज मिले वो ऐसे मिलने का पछतावा भी बहुत है 


कहूँ तो क्या कहूँ तुझसे ऐ मेरे दिले ज़हीन अब 


तेरा तो अपनों को परखने का दावा भी बहुत है 



हुस्न है , अदा है , खूबसूरती का दावा भी बहुत है


आईना देखता है उनमे इक छलावा भी बहुत है 


3 टिप्‍पणियां:

दिगम्बर नासवा ने कहा…

हुस्न है , अदा है , खूबसूरती का दावा भी बहुत है
आईना देखता है उनमे इक छलावा भी बहुत है ...
आना पहचान जाता है सब कुछ ... लाजवाब शेर है ग़ज़ल का ...

Unknown ने कहा…

आप हमेशा मेरी रचनाओं को पढ़ने के लिए अपना कीमती वक्त देते हैं इसके लिए आप जी का बहुत बहुत धन्यबाद

Unknown ने कहा…

बहुत खूब