दिल

मेरे दिल की जगह कोई खिलौना रख दिया जाए ,
वो दिल से खेलते रहते हैं , दर्द होता है "

मंगलवार, 10 जनवरी 2012

इक सुलगती याद



इस दफा ...

पिघल ही जायेंगी

जमी सदियों पुरानी बर्फीली बादियाँ

इक सुलगती याद जो गुजरी हैं

हवाओं के होठों पर बड़बड़ाते हुए !



नजर से दूर ,

कहीं , बहुत दूर

गुज़रे वक्त को गले से लगा

कोई जिरह कर रहा हैं , शायद

मौजूदा वक्त से …….



ये यादों के कारवां

ये तन्हाइयों के साये

बेरोक डराते हैं मुझे

जो सामने हैं , पर दिखाई भी नही देते

बहुत कुछ कहते हैं मुझसे

पर सुनाई भी नही देते

और कुछ सुनते भी नही हैं


पर लगता हैं के यहीं हैं

मेरे आस-पास ही कहीं हैं

तुम होते तो इन सब का कोई वजूद ना होता

इन सब से मुझे कोई खौफ ना होता !!

देखना..

इस दफा ...

पिघल ही जायेंगी

जमी सदियों पुरानी बर्फीली बादियाँ

इक सुलगती याद जो गुजरी हैं

हवाओं के होठों पर बड़बड़ाते हुए !!




© शिव कुमार 'साहिल' ©

18 टिप्‍पणियां:

kamal saini ने कहा…

Great Bro

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

पर लगता हैं के यहीं हैं
मेरे आस-पास ही कहीं हैं
तुम होते तो इन सब का कोई वजूद ना होता
इन सब से मुझे कोई खौफ ना होता !

बहुत खूबसूरत नज़्म ..

फ़िरदौस ख़ान ने कहा…

बहुत ख़ूब...अच्छा लगा आपके ब्लॉग पर आकर...

दिगम्बर नासवा ने कहा…

बहुत खूब .. इक सुलगती याद की दास्तान ...
बहुत कमाल का लिखा है साहिल जी ...

daanish ने कहा…

mn ki sulagtee yaadon ko
shabdoN ka bahut achhaa libaas
milaa hai... kaavya ban kar..!

Renu goel ने कहा…

yaadon ki garmi se barf pighli hai yahan ... kya khoob kaha ...

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

बहुत खूबसूरत नाज़म

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार 12- 01 -20 12 को यहाँ भी है

...नयी पुरानी हलचल में आज... उठ तोड़ पीड़ा के पहाड़

shikha varshney ने कहा…

आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार 12- 01 -20 12 को यहाँ भी है

...नयी पुरानी हलचल में आज... उठ तोड़ पीड़ा के पहाड़

vidya ने कहा…

वाह!!
बहुत सुन्दर...
~~~~~~~~~~~~~~~

एक टाइपिंग की गलती सुधार लें
हवाओं के होठों पर बढ़बढ़ाते हुए !
यहाँ शायद आप "बड़बड़ाते" लिखना चाहते थे???

अन्यथा ना लें..
सादर.

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

लिंक गलत देने की वजह से पुन: सूचना

आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार 12- 01 -20 12 को यहाँ भी है

...नयी पुरानी हलचल में आज... उठ तोड़ पीड़ा के पहाड़

सदा ने कहा…

वाह ..बहुत खूब कहा है आपने ..।

Jeevan Pushp ने कहा…

behtarin likha hai aapne...bhaawpurn shabdo ka sanyojan...!

Kailash Sharma ने कहा…

बहुत सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति..

Pallavi saxena ने कहा…

अच्छा लिखा है आपने वक्त-वक्त कि बात है ...

Mamta Bajpai ने कहा…

बहुत खूब

विभूति" ने कहा…

बहुत खुबसूरत रचना अभिवयक्ति......... बहुत ही खुबसूरत आपका ब्लॉग लगा.....

बेनामी ने कहा…

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