भारत में चाहे जिस भी पार्टी की सरकार हो किसान पर राजनीति करना सबका जन्म सिद्ध अधिकार है , किसान मर जाते हैं अपनी जिंदगियों से तंग आकर तो सरकार और राजनैतिक पार्टियाँ सुलगती चिताओं पर असंवेदनशील राजनीति करती हैं । फसले बर्बाद हो जाए तो मुआवजे पर राजनीति । इस देश में गरीबों को गरीब बनाये रखने का जैसे एक जाल बुन रखा हो , गरीब के बारे में सरकार सोचती हो जैसे भिखारी हो , कुछ किसान या गरीब आम आदमी किसी वजह से तंग आकर खुदखुशी कर भी लेते हैं लेकिन यह अर्थ नही की हर किसान सरकार पर निर्भर हैं । एक मेहनती किसान , गरीब आदमी मेहनत करके अपने परिवार का पालन पोषण कर लेता है , वह सरकार के मुआवजों पर निर्भर नही हैं ।
देखिये एक मेहनती किसान क्या कहता हैं सरकार से :-
" हमें घर चलाना आता है , मशवरा पास ही रखो ,
जख्म ये भर ही जाएँगे , दुआ दवा पास ही रखो ।
फसल हमारी हुई बर्बाद, सरकार तुम ना घबराओ ,
हम मेहनत करके खातें हैं , मुआवजा पास ही रखो" ॥
और दुनिया की वर्तमान स्तिथि पर भगवान से इक आग्रह :-
"इस दुनिया के बाजारों में , सबके अरमान बिकते हैं ,
क्या अरमान , क्या ईमान यहाँ इन्सान बिकते हैं ।
जो दुनिया तूने बनाई थी मेरे रभ आकर तो देख ,
वो अब शैतानों की बस्ती है यहाँ भगवान बिकते हैं ॥
देखिये एक मेहनती किसान क्या कहता हैं सरकार से :-
" हमें घर चलाना आता है , मशवरा पास ही रखो ,
जख्म ये भर ही जाएँगे , दुआ दवा पास ही रखो ।
फसल हमारी हुई बर्बाद, सरकार तुम ना घबराओ ,
हम मेहनत करके खातें हैं , मुआवजा पास ही रखो" ॥
और दुनिया की वर्तमान स्तिथि पर भगवान से इक आग्रह :-
"इस दुनिया के बाजारों में , सबके अरमान बिकते हैं ,
क्या अरमान , क्या ईमान यहाँ इन्सान बिकते हैं ।
जो दुनिया तूने बनाई थी मेरे रभ आकर तो देख ,
वो अब शैतानों की बस्ती है यहाँ भगवान बिकते हैं ॥
3 टिप्पणियां:
बहुत खूब ... काश में जो भी हो यहाँ इन्सान सब कुछ बेच देता है ...
शुक्रिया जनाब आप जी हमेशा मेरी रचनाओं के लिए अपना कीमती समय निकलते है , इसके लिए आप जी का बहुत बहुत धन्यबाद
I am extremely impressed along with your writing abilities, Thanks for this great share.
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