दिल

मेरे दिल की जगह कोई खिलौना रख दिया जाए ,
वो दिल से खेलते रहते हैं , दर्द होता है "

सोमवार, 5 नवंबर 2012

कवि और कविता



जिनके लिए लिखता है कवि , कविता
कविता पहुँच नही पाती उन तक


दावा करता है कवि
बदल देगा कविताओं से
भ्रष्ट व्यवस्थायों को
मिटा देगा असमानतायों को
पर कुछ भी तो नही
बदल पाया , मिटा पाया अब तक

जिनके लिए लिखता है कवि , कविता
कविता पहुँच नही पाती उन तक


कवितायें कवियों तक सीमित
साहित्य रूचि तक
बाज़ारबादी युग में
हर रूचि की है इक निश्चित कीमत

महँगाई के दौर में
मुफ्त में मिलता नही है कुछ भी
एक कविता भी नही
फिर केसे खरीदे
आम आदमी इक कविता

जिनके लिए लिखता है कवि , कविता
कविता पहुँच नही पाती उन तक 

                       









© शिव कुमार  साहिल ©

3 टिप्‍पणियां:

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

सच है जिनके लिए या जिनके ऊपर कविता लिखी जाती है उन तक बात नहीं पहुँचती ... सुंदर अभिव्यक्ति

बेनामी ने कहा…

sunder ati sunder

बेनामी ने कहा…

sunder ati sunder