दिल

मेरे दिल की जगह कोई खिलौना रख दिया जाए ,
वो दिल से खेलते रहते हैं , दर्द होता है "

शुक्रवार, 12 अक्तूबर 2012

इक तस्वीर

मेरे गमखाने में
बस इक तस्वीर है उसकी
जो बनाई है
मेरे लहू से उसने

फिर भी लगता है उसको  
के वो इतनी
रंगीन  नही है अभी


इसलिए तो
वो बनाती है रोज
नया इक जख्म दिल पर
और भरती है अपनी तस्वीर में
मेरे दिल का ताज़ा लहू
फिर भी  लगता है उसको
के वो इतनी
रंगीन  नही है अभी


मेरे गमखाने में
बस इक तस्वीर है उसकी
जो बनाई है
मेरे लहू से उसने



© शिव कुमार साहिल ©

3 टिप्‍पणियां:

ANULATA RAJ NAIR ने कहा…

वाह....
बेहद खूबसूरत साहिल जी....
दिल को छू गए ये लफ्ज़....

अनु

Ujjwal ने कहा…

Good blog. It is good to see some one blogging from Una

Senomic ने कहा…

Very Good Blog.