दिल

मेरे दिल की जगह कोई खिलौना रख दिया जाए ,
वो दिल से खेलते रहते हैं , दर्द होता है "

शनिवार, 3 मार्च 2012

Antiquarian ( पुरानी चीजों का रख रखाव करने वाला)




वो Antiquarian कहता हैं मुझे ,

मेरे पुराने पहनावे , पुराने घर ,

और कुछ पुराने ख्यालातों पर हंसी आती हैं उसे !


मैं fasionable नही हो पाया ,

बदल नही सका , बदलते दौर के साथ

मोहल्ले में अब वो दर्जी

और उसकी दूकान भी नही रही ,

यहाँ मै अपने जमाने के कपडे सिलवाता था ,

रेडीमेड कपड़ों का बुटिक खोल लिया हैं,

उसके बेटे ने , उसके जाने के बाद !

मेरे जमाने का वहाँ कुछ भी नही मिलता !!

कुछ पुराने रस्मो-रिवाज भी

विकसित हो चुके हैं अब

इलेक्ट्रिक करंट से जलातें हैं, शहर में ,

जो कभी मर जाता हैं कोई रिश्ता !!


चलो छोड़ो ये सब

ये सब दुख ,दर्द , तकलीफ की बातें

और मेरे घर कि तरफ देखो जरा ..

वो देखो सर्दियाँ छुटियाँ मनाने जा रही हैं

और कुछ पुराने कपडे धुप सेक रहें हैं ,आंगन में बेठे ,

जाता देख रहे हैं सर्दियों को ,

उनके पैर नही हैं वरना

भाग जाते पीछे - पीछे ,

उड़ने की नकामजाब कोशिश कर रहे हैं सुबह से

आज शाम सुला दूंगा थपथपा कर , पुरानी पेटी में ,

जब तक सर्दियाँ छुटियों से वापिस नही लोटती !


और इक पुराने बक्से से

उसकी कुछ यादें भी तो निकल आई थी - सुबह,

आँखे हैं के नहलाए जा रही हैं सुबह से

कुछ पुरानी सी , यरा मैली सी जो दिखने लगी थी

गुज़रे वक्त के धुंएँ में घुम - फिरकर ,


उसकी यादों को मैं इक पल के लिए भी

पुराना नही होने दे सकता

इन्हें मैं हमेशा ताज़ा , बिलकुल नया रखूँगा

अपने पुराने ख्यालातों के दरमियाँ भी !


फिर भी उसका antiquarian कहना

मुझे अच्छा लगता हैं

मुझे suit करता हैं !!

@ शिव कुमार साहिल @

4 टिप्‍पणियां:

kamal saini ने कहा…

Great Bro ..........

कुलदीप "अंजुम" ने कहा…

बहुत ही उम्दा .....पसंद आई आपकी नज़्म

renu ahuja ने कहा…

behad oomdaa khyaal hai.

दिगम्बर नासवा ने कहा…

बहुत खूब ...इस नज़्म का नोस्टेलजिया असरदार है ... दिल में सीधे उतर जाती है शुरुआत से ही ... लाजवाब साहिल जी ...