दिल

मेरे दिल की जगह कोई खिलौना रख दिया जाए ,
वो दिल से खेलते रहते हैं , दर्द होता है "

सोमवार, 14 जून 2010

फिर भी चला हूँ उसी की जानिब !!


उसने कहा था कही मिलेंगे फिर से

यूँ पीछे मुड कर , उसने देखा भी नही

ऎसा हुआ था , पर ऎसा लगता ही नहीं !


फिर भी चला हूँ उसी की जानिब

उसको लगता है उस तरफ की हवा है बस !!


©शिव कुमार साहिल ©

12 टिप्‍पणियां:

वन्दना अवस्थी दुबे ने कहा…

बहुत सुन्दर.

mai... ratnakar ने कहा…

bahut khoob, mazaa aa gaya. 'sahil' one of my most favourite names. so do keep writting. all the best

गिरिजेश राव, Girijesh Rao ने कहा…

यूँ चलना गुजरना !
ऐसी नज़्में गोते लगाने को कहती हैं।

निर्मला कपिला ने कहा…

bahut khoob

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

खूबसूरत एहसास

नीरज गोस्वामी ने कहा…

कमाल की रचना...बधाई...
नीरज

दिगम्बर नासवा ने कहा…

फिर भी चला हूँ उसी की जानिब
उसको लगता है उस तरफ की हवा है बस

बहुत खूब ... हवा में भी खुश्बू बसी होगी तो क्या होगा ..

रचना दीक्षित ने कहा…

फिर भी चला हूँ उसी की जानिब
उसको लगता है उस तरफ की हवा है बस
इतनी कम पंक्तियों में एक लम्बी दास्ताँ वाह वाह !!!!

शोभना चौरे ने कहा…

badhiya

Renu goel ने कहा…

छोटी मगर अपनी छाप छोड़ गयी ...

renu ahuja ने कहा…

aisa hi hota hai,
akasar,
chalte hai oos taraf ,
jo chale jaate hai,
ek yaad ban kar...........


aapki kavitaa itnee chhoti aur itnee sateeek hai, zindgee ke behad kareeb hai.

LIKHTE RAHIYE, SHUBH KAAMNAAYEN.

www.kavyagagan.blogspot.com

daanish ने कहा…

rachnaa
prabhaavshali hai . . .