दिल

मेरे दिल की जगह कोई खिलौना रख दिया जाए ,
वो दिल से खेलते रहते हैं , दर्द होता है "

बुधवार, 2 दिसंबर 2009

तेरा क्या ख्याल हैं !!

महबूब को चाँद कहते हो कभी खुदा बताते हो
बुढे माँ - बाप के बारे में तेरा क्या ख्याल हैं


तेरे गिरते हुए कदमो को जिन्होंने चलना सिखाया था
आज वो गिर रहे हैं तो तेरा क्या ख्याल हैं

कभी माँ की लोरी सुनकर ही तुझे नींद आती थी

रात को माँ खांस रही हैं तो तेरा क्या ख्याल हैं


निगाहे- नाज़ की तारीफ तो कभी हुस्न को सजदे
टूटे हुए बाप के चश्मे पर तेरा क्या ख्याल हैं

किसी अन्जान के लिए पल में मरने की कसमे

तुझे जन्म देने वालों के लिए तेरा क्या ख्याल हैं

तू भी चुलू भर पानी में जा डूब मर " साहिल "

या सोच की माँ-बाप लिए तेरा क्या ख्याल हैं !!



© शिव कुमार 'साहिल' ©

2 टिप्‍पणियां:

Unknown ने कहा…

बहुत अच्छा लगा
इसलिए मैंने भी इसे अपने ब्लॉग पर डाला है
थैंक्स

अनामिका की सदायें ...... ने कहा…

sahil ji pehli baar aapko padhne ka mauka mila aur aapko padhne ka raasta meri post per apke rev.se mil paya.shukriya jo mujhe ye maadhyam mila. aap bahut acchha likhte hai..is rachna ne aaj ki insaniyat ko jhinjhod kar rakh diya hai..bahut khoob.sochne aur jagrit karne par mazboor karti rachna.badhayi.