
वो Antiquarian कहता हैं मुझे ,
मेरे पुराने पहनावे , पुराने घर ,
और कुछ पुराने ख्यालातों पर हंसी आती हैं उसे !
मैं fasionable नही हो पाया ,
बदल नही सका , बदलते दौर के साथ
मोहल्ले में अब वो दर्जी
और उसकी दूकान भी नही रही ,
यहाँ मै अपने जमाने के कपडे सिलवाता था ,
रेडीमेड कपड़ों का बुटिक खोल लिया हैं,
उसके बेटे ने , उसके जाने के बाद !
मेरे जमाने का वहाँ कुछ भी नही मिलता !!
कुछ पुराने रस्मो-रिवाज भी
विकसित हो चुके हैं अब
इलेक्ट्रिक करंट से जलातें हैं, शहर में ,
जो कभी मर जाता हैं कोई रिश्ता !!
चलो छोड़ो ये सब
ये सब दुख ,दर्द , तकलीफ की बातें
और मेरे घर कि तरफ देखो जरा ..
वो देखो सर्दियाँ छुटियाँ मनाने जा रही हैं
और कुछ पुराने कपडे धुप सेक रहें हैं ,आंगन में बेठे ,
जाता देख रहे हैं सर्दियों को ,
उनके पैर नही हैं वरना
भाग जाते पीछे - पीछे ,
उड़ने की नकामजाब कोशिश कर रहे हैं सुबह से
आज शाम सुला दूंगा थपथपा कर , पुरानी पेटी में ,
जब तक सर्दियाँ छुटियों से वापिस नही लोटती !
और इक पुराने बक्से से
उसकी कुछ यादें भी तो निकल आई थी - सुबह,
आँखे हैं के नहलाए जा रही हैं सुबह से
कुछ पुरानी सी , यरा मैली सी जो दिखने लगी थी
गुज़रे वक्त के धुंएँ में घुम - फिरकर ,
उसकी यादों को मैं इक पल के लिए भी
पुराना नही होने दे सकता
इन्हें मैं हमेशा ताज़ा , बिलकुल नया रखूँगा
अपने पुराने ख्यालातों के दरमियाँ भी !
फिर भी उसका antiquarian कहना
मुझे अच्छा लगता हैं
मुझे suit करता हैं !!
@ शिव कुमार साहिल @