दिल

मेरे दिल की जगह कोई खिलौना रख दिया जाए ,
वो दिल से खेलते रहते हैं , दर्द होता है "

बुधवार, 21 जनवरी 2015

शौकीन वक्त

रोज ,  एक दिन कम हो जाता हूँ मैं 
वक्त खीँच लेता है एक कश में 
मेरी जिंदगी का एक दिन 
जैसे सिगरेट हूँ मैं  कोई 

और सिगरेट की डिब्बी हो जिंदगी मेरी 
निरंतर पीते जा रहा है मुझको 
ये आदतसाज वक्त 
लत लग गई है जिंदगीयाँ पीने की इसको 

उसकी साँसो में चुभता भी नही 
मेरी जलती हुई उम्र का धुँआ 

कोई तो समझाए उस शौकीन वक्त को 
की ये आदत अच्छी नही है उसकी  

- शिव कुमार साहिल -

गुरुवार, 8 जनवरी 2015

आईना

"इक बात बेखौफ मुझसे कहता है आईना ,
कभी आदमी अच्छे हुआ करते थे तुम भी " 

                                                          - शिव कुमार साहिल -