दिल

मेरे दिल की जगह कोई खिलौना रख दिया जाए ,
वो दिल से खेलते रहते हैं , दर्द होता है "

गुरुवार, 12 जुलाई 2012

सजा दो मुझको




















नसीहत , बददुआ  या सजा दो मुझको 

रिश्ता ना मिटाओ मिटा दो  मुझको   

बहे आँखों से क्यों तब अक्श-ए -लहू ?
कह जाए वो जब भुला दो  मुझको   ?

आते-जाते रहो दर्द बढ़ाने के लिए 
कौन कहता हैं के दबा दो मुझको  

हूँ मुसाफिर इक रोज तो चला जाऊंगा 
दो इक रोज लिए ही पनाह दो मुझको 

ऐ समंदर तू अब के 'साहिल' से भी मिल 
तब तुम्हे मानुगा जो डूबा दो मुझको 



© शिव कुमार साहिल ©